Sudhanshu Shekhar
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“It is because they are alive, potent to revive themselves, and capable of an ever-renewed, unpredictable yet self-consistent effectiveness in the range of human destiny, that the images of folklore and myth defy every attempt we make at systematization. They are not corpselike, but implike.”
― The King and the Corpse: Tales of the Soul's Conquest of Evil
― The King and the Corpse: Tales of the Soul's Conquest of Evil
“एक मूर्ति में सिमट गईं किस भाँति सिद्धियाँ सारी?
कब था ज्ञात मुझे, इतनी सुन्दर होती है नारी?”
― उर्वशी
कब था ज्ञात मुझे, इतनी सुन्दर होती है नारी?”
― उर्वशी
“वक्ष के इस तल्प पर सोती न केवल देह, मेरे व्यग्र, व्याकुल प्राण भी विश्राम पाते हैं।”
― उर्वशी
― उर्वशी
“कुछ लोग सुखी नहीं होते, लेकिन उनमें कुछ ऐसा होता है, जिसे देखकर हम अपने को बहुत छोटा-सा महसूस करते हैं। वे किसी दूसरे ग्रह के जीव जान पड़ते हैं…”
― अन्तिम अरण्य
― अन्तिम अरण्य
“हम भी हैं मानवी कि ज्यों ही प्रेम उगे, रुक जाएँ,
मिले जहाँ भी दान हृदय का, वहीं मग्न झुक जाएँ?
प्रेम मानवी की निधि है, अपनी तो वह क्रीड़ा है;
प्रेम हमारा स्वाद, मानवी की आकुल पीड़ा है।”
― उर्वशी
मिले जहाँ भी दान हृदय का, वहीं मग्न झुक जाएँ?
प्रेम मानवी की निधि है, अपनी तो वह क्रीड़ा है;
प्रेम हमारा स्वाद, मानवी की आकुल पीड़ा है।”
― उर्वशी
Sudhanshu’s 2023 Year in Books
Take a look at Sudhanshu’s Year in Books. The good, the bad, the long, the short—it’s all here.
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